हो सके तो
हो सके तो...
"हो सके तो कभी लफ्ज़ ही बन जाऊं मैं, इसी बहाने तुम्हारे होठों पर तो आऊंगा।
हो सके तो कभी नींद ही बन जाऊं मैं, इसी बहाने तुम्हारी आँखों में तो समा जाऊंगा।
हो सके तो वो ज़ुल्फ़ ही बन जाऊं मैं, इसी बहाने तुम्हारे गालों से तो टकराउंगा।
हो सके तो ख्वाब ही बन जाऊं मैं, इसी बहाने तुम्हारी आँखों से तो रूबरू हो पाऊंगा।
हो सके तो शायर ही बन जाऊं मैं, इसी बहाने दर्द का एहसास तो कर पाऊंगा।
हो सके तो तुम ही बन जाऊं में ताकि खुद से कभी न इश्क़ कर पाऊंगा।
और अगर ये सब ना सही तो किस्मत ही बन जाऊं मैं, ताकि कभी ना तुमसे मिल पाऊंगा। "
इस इश्क़ को ठुकरा तो दिया है तुमने पर जाते जाते ये बोलना चाहूँगा कि हो सके तो बस इतना ध्यान रखना कि ज़िन्दगी की भागदौड़ में आगे बढ़ते बढ़ते कहीं तुम्हें कोई तुम जैसा ना मिल जाए।
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